शाहिद के पिता को नहीं मिला एंबुलेंस की सुविधा
नगरी शासकीय अस्पताल का मामला
शाहिद के पिता के प्राथमिक उपचार के बाद दो घंटे पड़े रहे अस्पताल में मगर कोई डॉक्टर देखने भी नहीं आया मरीज को ऐसा कहना उनके परिवार वालों का
जब एंबुलेंस की सबसे ज्यादा जरूरत थी शाहिद के घायल पिता को नहीं मिली सुविधा
एक तरफ पूरे सम्मान के साथ 15 अगस्त 26 जनवरी को शहीद के पिता का सम्मान शाल श्रीफल भेंट देकर कर किया जाता है जब जान पर बनी शाहिद के पिता की तो नहीं दिया गया एंबुलेंस का सुविधा क्या होगी कार्रवाई एंबुलेंस एजेंसी के ऊपर
अगर एंबुलेंस की सुविधा देनी होती तो अस्पताल में भी एंबुलेंस खड़ी थी मगर क्यों नहीं दी गई सुविधा यहां सवाल तो उठाता है अस्पताल प्रबंधन के ऊपर
बड़ी विडंबना की बात हॉस्पिटल परिषद में खड़ा रहा एम्बुलेंस मगर प्राइवेट गाड़ी में शहीद के पिता को ले जाया गया जिला अस्पताल आपको बता दें कि आज 4:00 बजे करीब शाहिद चैन सिंह के पिता ग्राम अर्जुनी ढेहनी ग्राम पंचायत निवासी केशनाथ नेताम के ऊपर दो भालू ने हमला कर दिया था और उन्हें नगरी लाने के लिए भी 108 को कॉल किया गया था मगर वहां भी सुविधा नहीं मिली गांव वालों की मदद से जैसे तैसे शाहिद के घायल पिता केशनाथ नेताम नगरी के शासकीय अस्पताल लाया गया जहां पर प्राथमिक उपचार करने के पश्चात उनकी खराब स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों द्वारा जिला अस्पताल इलाज के लिए रेफर किया गया फिर वाही घायल बुजुर्ग 75 साल उम्र रेफर के बाद 2 घंटे हॉस्पिटल में रुके रहे 108 को कॉल करने पर वहां से ले जाने के लिए यस बोल गया मगर वही नगरी हॉस्पिटल के कैंपस पर खड़े एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी गई जब हमने पता किया एंबुलेंस की सुविधा क्यों नहीं दी गई तो एंबुलेंस के पायलट द्वारा बताया गया इसका एक साइड का हैडलाइन खराब है क्या जब 2 घंटे से रेफर किया हुआ मरीज अस्पताल में पड़ा था दर्द से तड़प रहा था तो क्या 2 घंटे के अंदर में उसे एंबुलेंस का बल्फ बदला नहीं जा सकता था शायद बदला जा सकता था मगर उनको यह सेवा शाहिद के पिता को देनी नहीं थी ऐसा लगता है
गांव के बुजुर्ग की स्थिति को देखते हुए काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे थे अस्पताल यह मंजर देखकर उग्र हुए ग्रामीण वही ग्रामीणों का कहना था कि क्या मात्र दिखावे के लिए शाहिद के पिता का सम्मान 15 अगस्त 26 जनवरी को किया जाता है जब उनकी इतनी हालत खराब थी तो अस्पताल परिषद में खड़े एम्बुलेंस की भी सुविधा नहीं मिली जो बड़ी दुर्भाग्यजनक बात
वन विभाग का कर्मचारी आता है ₹500 देता है घायल के इलाज के लिए और फोटो खिंचवाता है और चला जाता है वन विभाग के किसी भी अधिकारी कर्मचारी को मतलब नहीं है कि घायल मरीज की स्थिति कैसी है और उसकी क्या व्यवस्था की जानी चाहिए उनको क्या चीज की जरूरत है बस ₹500 दे के फोटो खींचने से मतलब